Thursday, July 5, 2012

रेखा

कान में झुमका, चाल में ठुमका, कमर पे चोटी लटके, हो गया दिल का पुरज़ा पुरज़ा, लगे पचासी झटके, ओ तेरा रंग है नशीला, अंग अंग है नशीला। दिल चीज़ क्या है आप मेरी जान लीजिए, बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए। सलाम-ए-इश्क मेरी जान ज़रा कबूल कर लो, तुम हमसे प्यार करने की ज़रा सी भूल कर लो, मेरा दिल बेचैन है हम सफर के लिए ........ यह ज़िक्र है गुज़रे हुए दौर की मशहूर अदाकारा रेखा जी का। इनकी कुण्डली इस तरह बताई जाती हैः-






सूरज खाना नं0 1 धर्मी राजा मगर खाना नं0 7 खाली । मंगल राहु मुश्तर्का खाना नं0 4 मन्दे और चन्द्र खाना नं0 6 खारा पानी । शुक्र खाना नं0 3 दिलदादा और बृहस्पत खाना नं0 11 खजूर के दरखत की तरफ अकेला। बुध शनि मुश्तर्का खाना नं0 2 उड़ता हुआ सांप और केतु खाना नं0 10 चुपचाप । 


रेखा जी ने 16-17 साला उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा और फिर पीछे मुड़कर नही देखा। फिल्मों में काफी कामयाबी मिली जिसके चलते कई अवार्ड भी मिले। ज़िन्दगी के सफर में हमराह तो कई मिले पर हमसफर कोई न मिला। शादी भी हुई तो टूटने के लिए। अब उम्र 57 साल हो गई है और जवानी की धूप भी ढल गई। मगर फिर भी किसी से कम नही। 


मई के महीने में जब रेखा जी को राज्य सभा में नामज़द किया गया तो पार्लियमैंट में वाशिंग पाउडर का लतीफा चल पड़ा। जया.....रेखा ...सुषमा, सबकी पसन्द......... आप समझ ही गए होंगे । इस तरह रेखा जी एक बार फिर चर्चा में आ गई।